Sunday, February 1, 2015

विश्व कप में शीर्ष क्रम के तीन नायक


साहसी लेकिन फार्म से जूझ रहे शिखर धवन

   
भारतीय क्रिकेट टीम में जब दिल्ली के दो धुरंधर सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर का डंका बजता था तब दिल्ली का ही एक और ओपनर शिखर धवन घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में अपना जलवा दिखा रहा था। लेकिन राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं होने के कारण एक समय लग रहा था कि उनका करियर भी घरेलू क्रिकेट में सिमट जाएगा। आखिर में नौ साल घरेलू क्रिकेट खेलने और प्रथम श्रेणी मैचों में 5000 से अधिक रन बनाने के बाद धवन को मार्च 2013 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में पहला टेस्ट मैच खेलने का मौका मिलता है और उन्होंने 187 रन ठोककर शानदार आगाज किया। इस बीच धवन ने 85 गेंदों पर शतक लगाकर पदार्पण टेस्ट में सबसे तेज सैकड़े का नया रिकार्ड बनाया।
        सहवाग और गंभीर फार्म से जूझ रहे थे और धवन ने इसका पूरा फायदा उठाया। उन्हें इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्राफी में खेलने का मौका मिला जहां उन्होंने रोहित शर्मा के साथ कामयाब सलामी जोड़ी बना डाली। धवन ने दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक भी जमाये। चैंपियन्स ट्राफी में उन्होंने 90.75 की औसत से 363 रन बनाये। वह भारतीय क्रिकेट टीम के अहम अंग बन गये। न्यूजीलैंड की सरजमीं पर टेस्ट मैचों में उन्होंने 115 और 98 रन की दो पारियां खेलकर दिखा दिया कि वह किसी भी तरह की परिस्थितियों में रन बना सकते हैं।
         लेकिन विश्व कप से पहले भारतीय टीम की सबसे बड़ी चिंता धवन बन गया है क्योंकि आस्ट्रेलियाई दौरे में उनका बल्ला कुंद पड़ा रहा। टेस्ट श्रृंखला में वह 81 रन की एक अच्छी पारी खेल पाये जबकि त्रिकोणीय श्रृंखला के चार मैचों में उनका स्कोर 2, 1, 8 और 38 रन रहा। उनकी इस फार्म को देखकर महान सुनील गावस्कर ने उनके बजाय रविचंद्रन अश्विन से पारी का आगाज कराने का सुझाव तक दे डाला। बहरहाल में वह अब भी धौनी की 'गुडबुक' में हैं और देखना होगा कि विश्व कप में मौका मिलने पर वह अपनी मूंछों पर फिर से ताव दे पाते हैं या नहीं। रिकार्ड के लिये बता दें कि धवन ने अब तक 53 वनडे मैचों में 42.75 की औसत से 2095 रन बनाये हैं जिसमें छह शतक और 11 अर्धशतक शामिल हैं। धवन का यह पहला विश्व कप होगा।

भारत का नया सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा 

   
कौशल से परिपूर्ण कलात्मक बल्लेबाज जिसकी तकनीक पर किसी को संदेह नहीं लेकिन यदि रोहित शर्मा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के पहले छह साल पर गौर करें तो पता चल जाता है कि वह अवसरों का अच्छी तरह से फायदा उठाने में नाकाम रहे। यही वजह थी कि जिस रोहित को अगली पीढ़ी का बल्लेबाज माना जा रहा था वह टीम से अंदर बाहर होता रहा। इस बीच हालांकि घरेलू क्रिकेट में उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। चाहे 2008.09 के रणजी फाइनल की दोनों पारियों में शतक हों या फिर आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स और बाद में मुंबई इंडियन्स की तरफ से कई शानदार पारियां। रोहित राष्ट्रीय टीम में वापसी का मार्ग प्रशस्त करते लेकिन फिर कुछ अवसरों पर सफल होते और कुछ पर नाकाम। निरंतर एक जैसा प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण उनका करियर उतार चढ़ाव वाला बन गया।
   इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्राफी के दौरान सलामी बल्लेबाज के नये अवतार में उतरना रोहित के लिये वरदान साबित हुआ। उन्होंने पांच मैचों में केवल 177 रन बनाये लेकिन इस बीच शिखर धवन के साथ मिलकर टीम को अच्छी शुरूआत दिलायी। रोहित ने अक्तूबर . नवंबर 2013 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ जयपुर में नाबाद 141 रन बनाये और फिर बेंगलूर में 209 रन बनाकर वनडे में ​दोहरा शतक जड़ने वाले तीसरे बल्लेबाज बने। उनसे पहले सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग ही यह कारनामा कर पाये थे। रोहित यहीं पर नहीं रूके। पिछले साल श्रीलंका के खिलाफ ईडन गार्डन्स पर वह 264 रन ठोककर वनडे में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ पारी को उस मुकाम पर लेग गये जहां तक पहुंचना किसी भी बल्लेबाज के लिये आसान नहीं होगा।
     लेकिन रोहित की चोट भारतीय टीम के लिये बड़ा सरदर्द बनी हुई है। उन्होंने आस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय श्रृंखला के पहले मैच में मेलबर्न में 138 रन की शानदार पारी खेली लेकिन इसके बाद चोट के कारण आगे के मैचों में नहीं खेल पाये। भारत को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा और वह इस सीरीज में एक भी मैच नहीं जीत पाया। अच्छी शुरूआत नहीं मिलने के कारण भारत की मजबूत बल्लेबाजी की पोल खुल गयी। इसलिए रोहित​ विश्व कप के भारतीय अभियान के लिये बेहद महत्वपूर्ण हैं। रोहित अब तक विश्व कप में नहीं खेले हैं लेकिन उन्हें कुल 127 वनडे मैच खेलने का अनुभव है जिसमें उनके नाम पर 3890 रन दर्ज हैं। रोहित ने छह शतक और 23 अर्धशतक भी लगाये हैं।

बल्लेबाजी में हर क्रम पर फिट अजिंक्य रहाणे 


लंबे समय तक साथी खिलाड़ियों के लिये मैदान पर पानी पहुंचाने का काम करने के बाद अजिंक्य रहाणे को मार्च 2013 में जब टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण का मौका मिला तो वह आस्ट्रेलियाई आक्रमण के सामने सात और एक रन ही बना पाये। चर्चा होने लगी कि क्या बेमिसाल और  नैसर्गिक प्रतिभा का धनी बल्लेबाज का करियर शुरू में खत्म हो जाएगा लेकिन रहाणे ने अपने काम पर ध्यान दिया। उन्होंने मुंबई की तरफ से रणजी ट्राफी और राजस्थान रायल्स की तरफ से आईपीएल में अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखा और जल्द ही न सिर्फ टेस्ट टीम में वापसी की बल्कि एकदिवसीय टीम के भी अहम अंग बन गये। वेलिंगटन में मुश्किल परिस्थितियों में लगाया गया शतक या फिर लाडर्स पर खेली गयी शतकीय पारी से रहाणे ने दिखाया कि उनके पास कई किताबी शाट हैं जो संकटपूर्ण स्थितियों में उन्हें सफल बनाते हैं। आस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल में समाप्त हुई श्रृंखला में भी कोहली के अलावा किसी अन्य बल्लेबाजों ने गेंदबाजों का डटकर सामना किया तो वह रहाणे थे। मेलबर्न में उन्होंने 147 रन की दर्शनीय पारी खेली थी।
      रहाणे कई आयु वर्ग के टूर्नामेंटों में खेलते रहे हैं और यह कहा जा सकता है कि कोहली की तरह वह भी अब मंझे हुए बल्लेबाज बन गये हैं। विश्व कप में भारतीय बल्लेबाजी का काफी दारोमदार रहाणे के कंधों पर भी रहेगा। वह ऊपरी क्रम के बल्लेबाज हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर उन्होंने मध्यक्रम में भी अच्छी बल्लेबाजी की है। यदि रोहित शर्मा फिट नहीं होते या शिखर धवन की खराब फार्म बरकरार रहती है तो फिर यह तय है कि रहाणे ही पारी का आगाज करेंगे। उन पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी पारी संवारने की रहेगी। रहाणे की विशेषता यह है कि वह पारी संवारने के साथ साथ रन गति भी अच्छी बनाये रखते हैं। जरूरत पड़ने पर लप्पेबाजी भी कर सकते हैं और अपनी रक्षात्मक तकनीक की तो अच्छी मिसाल पेश कर चुके हैं। अभी यह कहा जा सकता है कि भारतीय टीम में सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज यदि कोई है तो वह रहाणे हैं।
      रहाणे भी पहली बार विश्व कप में भाग लेंगे। यदि वनडे मैचों की बात करें तो इस 26 वर्षीय बल्लेबाज ने अब तक जो 46 मैच खेले हैं उनमें उन्होंने 1376 रन बनाये हैं। रहाणे का औसत 30.57 है जो कि उनकी क्षमता वाले बल्लेबाज के अनुकूल नहीं है। मुंबई का यह बल्लेबाज विश्व कप में निश्चित तौर पर इसमें सुधार करके भारतीय बल्लेबाजी का आधार स्तंभ बनना चाहेगा। रहाणे ने अब तक वनडे में दो शतक और आठ अर्धशतक भी लगाये हैं। 
                                                                                                                  धर्मेन्द्र मोहन पंत 


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