Friday, January 2, 2015

पुजारा : अब खेलनी होगी बड़ी पारी

                                                                                                    
                          धर्मेन्द्र      
                                          

पुजारा के लिये दुस्वप्न रहा 2014 

       सुनील गावस्कर को इसलिए महान कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जमाने की दिग्गज टीमों वेस्टइंडीज, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में जाकर ढेरों रन बटोरे। सचिन तेंदुलकर इसलिए महान हैं क्योंकि उन्होंने आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका की तेज पिचों पर बड़े स्कोर खड़े किये। राहुल द्रविड़ इसलिए 'श्रीमान भरोसेमंद' बने क्योंकि उन्होंने विदेशी पिचों पर विषम परिस्थितियों में कई शानदार पारियां खेली। वीवीएस लक्ष्मण इसलिए भारत के संकटमोचक रहे क्योंकि उन्होंने देश और विदेश दोनों तरह की परिस्थितियों में कई बार विरोधी टीम के मंसूबों पर पानी फेरा और टीम को जीत दिलायी। विराट कोहली को इसलिए भारत का भविष्य कहा जाता है क्योंकि जनवरी 2012 में एडिलेड में उन्होंने शतकीय पारी खेलकर जो शुरूआत की थी वह उस तरह के प्रदर्शन को लगातार आगे बढ़ाते जा रहे हैं। मतलब साफ है कि यदि आपको वास्तव महान या दिग्गज बल्लेबाज बनना है तो आपको देश ही नहीं विदेशों में भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा और आस्ट्रेलियाई दौरे पर गया एक बल्लेबाज इस कसौटी पर खरा नहीं उतर पा रहा है। इस बल्लेबाज को देश का अगला राहुल द्रविड़ कहा जा रहा था लेकिन यदि वह विदेशी सरजमीं पर एक साल में 20 पारियों में 24.15 की औसत से 483 रन बनाये तो फिर कोई भी उनके नाम के आगे द्रविड़ वाला विशेषण जोड़ने से कतराएगा।
        हम बात कर रहे हैं चेतेश्वर पुजारा की। जिस तरह से उन्होंने बेंगलूर  में आस्ट्रेलिया के खिलाफ धमाकेदार आगाज किया और फिर उसके बाद कुछ बेहतरीन पारियां खेली उससे लगने लगा था कि भारत को आगे द्रविड़ की कमी नहीं खलेगी लेकिन भारत को 2013 के आखिर से केवल विदेशी सरजमीं पर मैच खेलने थे और ऐसे में पुजारा के लिये 2014 का साल सबसे बड़ी परीक्षा बनने वाला था जिसमें वह पूरी तरह नाकाम रहे। जिस जज्बे, जुझारूपन और संयम के लिये पुजारा को जाना जाता था वह उनमें दिख ही नहीं रहा है। वह आफ स्टंप से बाहर जाने वाली गेंदों को ड्राइव करने के प्रयास में विकेट गंवा रहे हैं। गेंद उनके बल्ले और पैड के बीच से निकल रही है। कुछ अवसरों पर अंपायरों के फैसले उनके खिलाफ गये लेकिन इसके अलावा उन्होंने अधि​कतर समय अपनी गलती से विकेट गंवाया जो कि पुजारा ही नहीं भारत के लिये भी चिंता का विषय है।
          पुजारा का आत्मविश्वास बुरी तरह हिला हुआ है। उनके खेल को देखकर लगता है कि शायद वह यह अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं कि उनका बल्ला कहां जा रहा है और उनके पांव कहां हैं। वह गेंद की लाइन में आकर नहीं खेल पा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपनी पारी के शुरू में असहज रहने के बावजूद वह पर्याप्त समय क्रीज पर बिताने में सफल रहे। रिकार्ड के लिये देख लीजिए। पुजारा ने बीते वर्ष में 20 पारियां खेली और इनमें से 13 पारियों में उन्होंने 50 या इससे अधिक गेंदें खेली तथा 14 पारियों में वह एक घंटे से अधिक समय तक क्रीज पर डटे रहे। उन्होंने इस बीच दो अर्धशतक जमाये और उनका उच्चतम स्कोर 73 रन रहा जो उन्होंने वर्तमान सीरीज के एडिलेड में खेले गये पहले टेस्ट मैच में बनाया था। इसके अलावा वह दो बार 43 रन पर आउट हुए। एक बार 38 रन तक पहुंचे और छह बार 20 से 30 रन के बीच पवेलियन लौटे। मतलब जिस पुजारा को बड़ी पारियां खेलने के लिये जाना जाता है वह अपनी अच्छी शुरूआत को बड़े स्कोर में तब्दील करने के लिये जूझ रहा है और इसका मतलब है कि वह इस समय काफी दबाव में हैं। भारतीय क्रिकेट को पुजारा की सख्त जरूरत है और उन्हें अब मानसिक रूप से सख्त बनना पड़ेगा।
         पिछले साल यानि 2014 के शुरू में पुजारा का टेस्ट मैचों में औसत 66.25 था और उनकी गणना दुनिया के उन बल्लेबाजों में होती थी जिन्होंने 1000 से अधिक टेस्ट रन बनाये और अपना औसत 60 से नीचे नहीं गिरने दिया लेकिन लगातार लचर प्रदर्शन के कारण यही औसत अब 50 से नीचे चला गया है। सौराष्ट्र के ​इस बल्लेबाज का औसत अभी 47.11 है। इसका मुख्य कारण विदेशों में उनका खराब प्रदर्शन जहां जहां उन्होंने अब तक 27 पारियों में 29.40 की औसत से रन बनाये हैं। पुजारा का भारतीय सरजमीं पर औसत 75.23 है। उन्हें हालांकि अभी तक भारत के अलावा उपमहाद्वीप के अन्य देशों और वेस्टइंडीज में खेलने का मौका नहीं मिला है। लेकिन यह बहाना नहीं हो सकता है। उन जैसे क्षमता वाले बल्लेबाज से इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है। भारतीय क्रिकेट को उनकी जरूरत है उन्हें दबाव से उबरकर बड़ी पारी खेलनी होगी। सिडनी की पिच कुछ धीमी खेलती है और ऐसे में उनके पास फार्म में वापसी का मौका भी रहेगा। उन्हें अपनी अच्छी शुरूआत को बड़े स्कोर में बदलना होगा। यदि पुजारा फिर से सस्ते में आउट होते हैं तो उनके लिये मुश्किलें बढ़ जाएंगी क्योंकि भारत को अब अगले पांच महीने तक टेस्ट मैच नहीं खेलने और इस बीच विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन करने पर कोई अन्य खिलाड़ी अपना दावा मजबूत कर सकता है। यही नहीं यहां राष्ट्रीय टीम में चयन का आधार आईपीएल भी माना जाता है जिसमें पुजारा फिलहाल किसी टीम का हिस्सा नहीं हैं। 
      

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