Sunday, December 21, 2014

धवन की चोट, कोहली और नंबर चार


                                                                                            धर्मेन्द्र मोहन पंत 

        स्थान : ब्रिस्बेन वूललुंगाबा, जो गाबा के नाम से लोकप्रिय है। भारतीय टीम चौथे दिन अपनी दूसरी पारी आगे बढ़ाने की तैयारियों में हैं। खेल शुरू होने में केवल दस मिनट बचे हैं। पिछले दिन के अविजित बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा तैयार हैं लेकिन उनके साथ तीसरे दिन स्टंप के समय अविजित रहे शिखर धवन अभ्यास के दौरान कलाई में लगी चोट से परेशान हैं। ऐसे में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिये उतरने वाले विराट कोहली को कहा जाता है कि वह पुजारा के साथ क्रीज पर उतरे। मामला गरमा जाता है। आखिर खेल से दस मिनट पहले यह क्यों तय किया गया कि कौन बल्लेबाजी के लिये उतरेगा? धवन तो पहले ही चोटिल हो गये थे और अभ्यास पिच को छोड़कर जल्द ही ड्रेसिंग रूम में भी लौट आये थे। असल में धवन ने कप्तान को अपनी स्थिति बताने में देर की। वह कप्तान को पहले ही बता देते तो संभवत: यह स्थिति पैदा ही नहीं होती। वह खेल शुरू होने से दस मिनट पहले आकर बताते हैं कि वह बल्लेबाजी के लिये नहीं उतर पाएंगे।

        कोहली खेलने के लिये तैयार हो गये लेकिन ड्रेसिंग रूम की गरमागर्म बहस का असर ​पिच पर दिखता है। मिशेल जानसन की गेंद को कोहली विकेट पर खेलकर तुरंत ही ड्रेसिंग रूम में लौट आते हैं। भारतीय पारी ताश के पत्तों की तरह बिखर गयी और शिखर धवन को ठीक एक घंटे पांच मिनट के बाद क्रीज पर उतरना पड़ा। स्वाभाविक था कि इतनी जल्दी उनकी कलाई ठीक नहीं हुई थी इसलिए उनके साहसिक फैसले की सराहना करनी होगी। लेकिन यदि वह पहले ही यह जोखिम ले लेते तो फिर बखेड़ा खड़ा नहीं होता। धवन ने अपनी पारी वहीं से आगे बढ़ायी जहां पर उन्होंने पहले दिन छोड़ी थी। मतलब उन्होंने उसी अंदाज में बल्लेबाजी की। कुछ करारे ड्राइव लगाये और एक दो दर्शनीय पुल भी किये। साफ लग रहा था कि उनकी कलाई की चोट गंभीर नहीं है। बस इसके कारण मामला गंभीर बन गया था। 
        अब नंबर चार के बल्लेबाज कोहली बात करते हैं। अब कोई बल्लेबाज स्वयं कह रहा हो कि वह क्रीज पर उतरने की स्थिति में नहीं है तो कप्तान या कोच उस पर दबाव भी नहीं बना सकते। कप्तान के पास यही विकल्प बचता है कि वह बल्लेबाजी लाइन अप में अगले नंबर के बल्लेबाज को तैयार होने के लिये कहे और महेंद्र सिंह धोनी ने भी यही किया। यह तो सचिन तेंदुलकर के संन्यास लेने के बाद ही तय हो गया था कि वर्षों तक जिस नंबर चार पर उनका आधिपत्य रहा उसके अगले उत्तराधिकारी विराट कोहली होंगे। कोहली ने भी इस नंबर की ​गरिमा को कम नहीं होने दिया। वह अब तक चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 21 पारियों में 858 रन बना चुके हैं जिसमें चार शतक भी शामिल हैं। तेंदुलकर ने भी नंबर चार पर खेलते हुए पहली 21 पारियों में पांच शतक लगाये थे और कोहली उनसे ज्यादा पीछे नहीं हैं। यह अलग बात है कि तेंदुलकर ने किसी भी परिस्थिति में इस नंबर पर उतरने से कभी मना नहीं किया। अपने करियर में 329 में से 275 पारियां आखिर उन्होंने इस नंबर पर यूं ही नहीं खेली। 
        बल्लेबाजी लाइनअप में वनडाउन यानि नंबर तीन सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। कभी कभी तो उसे पहले ओवर में ही नयी गेंद का सामना करने के लिये आना पड़ता है। चौथे नंबर की भी कमो​बेश यही स्थिति है। उसे पारी को संवारना होता है और इसलिए इस नंबर पर खेलने वाले बल्लेबाज का धैर्यवान और अनुशासित होना जरूरी है। तेंदुलकर ने चार नंबर को नयी और सम्मानित पहचान दी है। माहेला जयवर्धने, जाक कैलिस, ब्रायन लारा, जावेद मियादाद, मार्क वॉ जैसे बल्लेबाज इस नंबर पर यूं ही सफल नहीं हुए। भारत की तरफ से कभी अपनी कलात्मक बल्लेबाजी के लिये मशहूर गुंडप्पा विश्वनाथ ने इस नंबर की शोभा बढ़ायी थी। उन्होंने भारत की तरफ से तेंदुलकर के बाद इस नंबर पर सर्वाधिक 124 पारियां खेली हैं, 5000 से अधिक रन बनाये और 12 शतक जड़े। मतलब कोहली को बड़ी जिम्मेदारी निभानी है। 
       कोहली जिस तरह के बल्लेबाज हैं उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि तेंदुलकर ने नंबर चार को जो नयी पहचान दी है वह उसमें चार चांद लगाएंगे। वह हर तरह की चुनौती के लिये हमेशा तैयार दिखते हैं। फिर किसी भी तरह की बहस, भले ही वह क्षणिक हो, का नुकसान कोहली को ही होगा। उन्हें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि वह भारत के भावी कप्तान हैं और अगले साल किसी भी समय उनके हाथों स्थायी तौर पर टीम की कमान दी जा सकती है। ऐसे में उन्हें भी कप्तान रहते हुई विषम परिस्थितियों में कुछ ऐसे फैसले करने पड़ सकते हैं जो किसी खिलाड़ी या टीम को नागवार गुजरे। प्रत्येक टीम गेम में ऐसा होता है। उम्मीद है कोहली इसे समझेंगे। 

2 comments:

  1. इस नयी पहल के लिए आपको बहुत शुभकामनाएं. जमे रहिए ब्‍लागिंग की इस क्रीज पर..

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    1. आपका सहयोग हमेशा चाहिए पृथ्वी।

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